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Bhoot ki kahani

तब उनकी पत्नी ने उन्हें देख लिया . और छुड़ाया उनसे पूछने लगी. अरे आपको क्या हो गया। जो आप ऐसी वैसी हरकतें करने लग गए। तो वे कुछ नहीं बोले. जैसे कोई पागल कोई बात को सुन रहा हो। उनकी औरत परेशान होकर डॉक्टर के घर पहुंची और उनका इलाज करने को कहा हालांकि डॉक्टर को बीमारी समझ में नहीं आई। फिर भी वह उनको ग्लूकोज की बोतलें चढ़ाना चालू कर दिए। धीरे-धीरे कुछ दिन बीतते गए लाल सिंह की तबीयत मानो कैंसर के मरीज से भी बत्तर हो गई ।

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और तभी मुझे याद आया कि वो जो चिट्ठी आई थी। उसमें उसका पता तो होगा। फिर मैं उसका पता पढ़ कर उसके पते के अनुसार मैं उसके घर मिलने के लिए गया।

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गौरब डर कर भाग ने की कोसिस कर रहा था की उस औरत की आत्मा ने उसका एक हात पकड़ लिआ। और गौरब से बिनती करने लगा की मेरी मदद करो। यह सुनकर गौरब चौंक गया।

और तभी मुझे याद आया कि वो जो चिट्ठी आई थी। उसमें उसका पता तो होगा।

जब गौरब घर के पास पहुँचा, तब उसे बहुत ठंड लग रही थी। घर बिखरा हुआ था, जिसमें टूटे हुए खिड़कियाँ थीं और एक दरवाजा था, जो खोलने पर जोर से आवाज करता था। गौरब सबधाणी से दरवाजा खोला और घर में दाखिल हुआ।

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क्या पता इसको भी इन चीजों में दिलचस्पी हो दूसरे दिन हम लोगों ने ऐसा ही किया तो रात में वह अंदर खेलने नहीं आया। हम लोग ऐसा चार-पांच दिन में एक बार रख के आ जाते थे । एक बार गांव वालों ने देख लिया और पूछा तो हमने सारी बातें बता दी । तब से आज भी वहां पर गांव वाले बीड़ी माचिस ताश के पत्ते हफ्ते में एक बार जरूर चढ़ाते हैं। और आज भी वह आत्मा किसी को परेशान नहीं करती।

उसने मुझे बताया की मैं यहाँ एक ऑफिस मैं काम करती हूँ और मैं पहाड़ के पीछे एक छोटी सी बस्ती हैं वहां रहती हूँ ।

नगर में पमिनाबहन के अनुभव की बात फैलने पर नगर के किसी अनुभवी व्यक्ति के द्वारा यह पता चला कि जिस मकान में पमिनाबहन का परिवार रहता है, उस जगह के पुराने मालिक के पास से, उसके सगे संबंधियों ने वह मकान हड़प लिया था। और मरते वक्त भी मकान मालिक का जी उसी मकान में था, इसी कारण वह इन्सान अपने मकान में किसी भी व्यक्ति की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं कर पाता था।

पमिनाबहन जिस मकान में रहती थीं उस मकान में अचानक अजीबो-गरीब घटनायेँ होने लगीं। जैसे कि –

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